1. आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे?
लाल लिटमस पत्र का उपयोग:
लाल लिटमस पेपर को आसुत जल वाली पहली परखनली में डुबोएं। यदि लिटमस पेपर लाल रहता है, तो यह दर्शाता है कि पदार्थों आसवित जल है।(न तो अम्लीय और न ही क्षारीय)।
फिर, उसी लाल लिटमस पेपर को दूसरी टेस्ट ट्यूब में डुबोएं। यदि लिटमस पेपर नीला हो जाता है, तो यह दर्शाता है कि पदार्थों क्षारीय है।
अंत में, लाल लिटमस पेपर को तीसरी टेस्ट ट्यूब में डुबोएं। यदि लिटमस पेपर लाल रहता है, तो यह दर्शाता है कि घोल अम्लीय है।
2.पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ नहीं रखने चाहिए क्योंकि:
दही में लैक्टिक अम्ल होता है। यह अम्ल पीतल एवं ताँबे के साथ अभिक्रिया करके तांबे का लैक्टेट और हाइड्रोजन गैस बनाता है। हाइड्रोजन गैस ज्वलनशील होती है। यदि यह गैस बर्तन में जमा हो जाए और आग लग जाए, तो विस्फोट हो सकता है।
हानिकारक लवण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इनके सेवन से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
3. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?
धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः हाइड्रोजन गैस (H2) निकलती है।
उदाहरण:
जस्ता (Zn) धातु और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की अभिक्रिया:
Zn + 2HCl → ZnCl2 + H2↑
इस अभिक्रिया में, जस्ता धातु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके जस्ता क्लोराइड लवण और हाइड्रोजन गैस बनाता है।
हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति की जाँच:
जलती हुई तीली: हाइड्रोजन गैस ज्वलनशील होती है। यदि जलती हुई तीली को हाइड्रोजन गैस के बर्तन के पास लाया जाए, तो तीली जलती रहेगी।
लिटमस पेपर: हाइड्रोजन गैस अम्लीय होती है। यदि लिटमस पेपर को हाइड्रोजन गैस के बर्तन में रखा जाए, तो लिटमस पेपर लाल हो जाएगा।
4. कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में एक से कैल्सियम क्लोराइड हैं, तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
धातु यौगिक ‘A’ कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) है। गैस कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) है।
संतुलित रासायनिक समीकरण: CaCO3(s) + 2HCl(aq) → CaCl2(aq) + H2O(l) + CO2(g)↑
कार्बन डाइऑक्साइड गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है क्योंकि यह एक अक्रिय गैस है जो ऑक्सीजन को विस्थापित करती है।
5. HCI, HNO3, आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि एल्कोहल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?
HCl और HNO3 मजबूत अम्ल हैं, जिसका अर्थ है कि वे पानी में घुलने पर H+ आयन छोड़ने में बहुत प्रभावी होते हैं।
एल्कोहल और ग्लूकोज़ कमजोर अम्ल हैं, जिसका अर्थ है कि वे पानी में घुलने पर H+ आयन छोड़ने में बहुत प्रभावी नहीं होते हैं।
H+ आयन की उपस्थिति अम्लीयता के निम्नलिखित अभिलक्षणों के लिए जिम्मेदार होती है:
खट्टा स्वाद
लाल लिटमस पेपर को नीला करना
6. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
जब अम्ल पानी में घुलता है, तो H+ आयन और अन्य आयन पानी के अणुओं से अलग हो जाते हैं। ये आयन स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं और विद्युत धारा का संचालन कर सकते हैं। इसी कारण, अम्ल के जलीय विलयन विद्युत का चालन करते हैं।
7. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
लिटमस पत्र में एक रंगीन यौगिक होता है जो पानी में घुलने पर नीला या लाल रंग बदलता है। शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस पानी के साथ प्रतिक्रिया नहीं करती है, इसलिए यह लिटमस पत्र में रंगीन यौगिक को घोल नहीं सकती है। इसी कारण, शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है।
8. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल न कि जल को अम्ल में? में मिलाना चाहिए?
जब अम्ल पानी में घुलता है, तो यह ऊष्मा निकालता है। यदि पानी को अम्ल में मिलाया जाता है, तो ऊष्मा एक छोटे से क्षेत्र में केंद्रित होती है, जिसके कारण छींटे पड़ सकते हैं और जलने का खतरा हो सकता है। इसी कारण, अम्ल को तनुकृत करते समय अम्ल को पानी में मिलाना अनुशंसित किया जाता है।
9. अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H₂O) की सांद्रता कैसे प्रभावित [(HO) की सा हो जाती है?
H3O+ आयन की सांद्रता को विलयन में प्रति लीटर H3O+ आयन की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है। जब अम्ल को पानी में मिलाया जाता है, तो विलयन का आयतन बढ़ जाता है। चूंकि H3O+ आयन की संख्या समान रहती है, इसलिए H3O+ आयन की सांद्रता कम हो जाती है।
उदाहरण: यदि 10 mL HCl को 100 mL पानी में मिलाया जाता है, तो H3O+ आयन की सांद्रता मूल HCl विलयन की तुलना में 10 गुना कम होगी।
10. जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
NaOH एक मजबूत क्षार है, जिसका अर्थ है कि यह पानी में घुलने पर OH- आयन छोड़ने में बहुत प्रभावी होता है। जब आधिक्य NaOH विलयन में मिलाया जाता है, तो यह OH- आयन की संख्या में वृद्धि करता है। OH- आयन की सांद्रता NaOH की मात्रा पर निर्भर करती है।
उदाहरण: यदि 10 mL NaOH विलयन में 10 mL NaOH विलयन मिलाया जाता है, तो OH- आयन की सांद्रता मूल NaOH विलयन की तुलना में 2 गुना अधिक होगी।
11. आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है। किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय? sh
विलयन A में H+ आयन की सांद्रता अधिक है। pH 6, pH 8 से कम है, और pH जितना कम होता है, H+ आयन की सांद्रता उतनी ही अधिक होती है।
विलयन B में H+ आयन की सांद्रता कम है।
विलयन A अम्लीय है। pH 7 से कम होने पर विलयन अम्लीय होता है।
विलयन B क्षारकीय है। pH 7 से अधिक होने पर विलयन क्षारकीय होता है।
12. H+(aq) आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
H+(aq) आयन की सांद्रता विलयन के अन्य गुणों को भी प्रभावित करती है, जैसे कि:
- विद्युत चालकता: H+(aq) आयन विद्युत धारा का चालन करते हैं, इसलिए H+(aq) आयन की सांद्रता जितनी अधिक होगी, विलयन की विद्युत चालकता उतनी ही अधिक होगी।
- धातुओं के साथ प्रतिक्रिया: H+(aq) आयन धातुओं के साथ प्रतिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
- लवण का निर्माण: H+(aq) आयन क्षारों के साथ प्रतिक्रिया करके लवण बनाते हैं।
13. क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?
क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होती है। क्षारकीय विलयन में OH-(aq) आयन की संख्या H+(aq) आयन की संख्या से बहुत अधिक होती है। OH-(aq) आयन H+(aq) आयन के साथ प्रतिक्रिया करके पानी बनाते हैं, जिसके कारण विलयन क्षारकीय होता है।
उदाहरण:
NaOH विलयन में OH-(aq) आयन की संख्या H+(aq) आयन की संख्या से बहुत अधिक होती है। OH-(aq) आयन H+(aq) आयन के साथ प्रतिक्रिया करके पानी बनाते हैं, जिसके कारण NaOH विलयन क्षारकीय होता है।
14. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
किसान खेत की मृदा की pH के आधार पर चूना, बुझा हुआ चूना या चॉक का उपयोग करेगा:
अम्लीय मिट्टी में:
- कैल्सियम ऑक्साइड (CaO): यह मिट्टी की अम्लता को कम करके pH को बढ़ाता है।
- कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (Ca(OH)2): यह मिट्टी की अम्लता को कम करके pH को बढ़ाता है।
- कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3): यह मिट्टी की अम्लता को कम करके pH को धीरे-धीरे बढ़ाता है।
क्षारीय मिट्टी में:
- कैल्सियम ऑक्साइड (CaO): इसका उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि यह मिट्टी की क्षारीयता को बढ़ा देगा।
- कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (Ca(OH)2): इसका उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि यह मिट्टी की क्षारीयता को बढ़ा देगा।
- कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3): इसका उपयोग मिट्टी की क्षारीयता को कम करने के लिए किया जा सकता है।
15. CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम ब्लीचिंग पाउडर (bleaching powder)
16. उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
वह पदार्थ जो क्लोरीन से उपचारित करने पर ब्लीचिंग पाउडर बनाता है वह कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड [Ca(OH)2] है।
17. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम यौगिक: सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) या सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) का उपयोग किया जाता है
18. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।?
सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर यह कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्सर्जित करता है।
समीकरण: 2NaHCO3(aq) → Na2CO3(aq) + H2O(l) + CO2(g)↑
19. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
प्लास्टर ऑफ पेरिस पानी के साथ अभिक्रिया करके जिप्सम बनाता है।
समीकरण: CaSO4⋅½H2O(s) + 1½H2O(l) → CaSO4⋅2H2
अभ्यास प्रश्न उत्तर सहित
1. कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा?
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10
उत्तर: (d) 10
स्पष्टीकरण: किसी विलयन का लाल लिटमस नीला हो जाना यह दर्शाता है कि यह क्षारीय है। इसलिए, घोल का पीएच 10 के आसपास होने की संभावना है, जिससे विकल्प (d) सही हो जाता है।
2. कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है, जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा?
(a) NaCl
(b) HCl
(c) LiCl
(d) KCl
उत्तर: (b) HCl
स्पष्टीकरण: अंडे के छिलके के साथ प्रतिक्रिया से उत्पन्न गैस का चूने-पानी का दूधिया हो जाना कार्बन डाइऑक्साइड गैस की उपस्थिति को इंगित करता है। यह गैस तब उत्पन्न होती है जब अम्ल कार्बोनेट या बाइकार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। विकल्पों में से, केवल एचसीएल (हाइड्रोक्लोरिक एसिड) एक एसिड है, इसलिए विकल्प (b) सही है।
3. NaOH का 10 mL विलयन, HCl के 8 mL विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20 mL लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
(a) 4 mL
(b) 8 mL
(c) 12 mL
(d) 16 mL
उत्तर: (d) 16 एमएल
स्पष्टीकरण: उदासीनीकरण प्रतिक्रियाओं में समतुल्य अनुपात के आधार पर।
यदि 10 एमएल NaOH के लिए 8ml एचसीएल की आवश्यकता होती है, तो 20 mL NaOH के लिए दोगुनी मात्रा की आवश्यकता होगी।
तो, 20 एमएल NaOH के लिए, प्रारंभ में 16 mL HCl की आवश्यकता लगती है। लेकिन पहले से उपयोग किए गए 8 mL को ध्यान में रखते हुए, केवल अतिरिक्त 8 mL की आवश्यकता है।
20 एमएल NaOH के लिए आवश्यक कुल HCl 8 mL (पिछला) + 8 mL (अतिरिक्त) = 16 mL है। इसलिए, विकल्प (डी) सही है।
4. अपच का उपचार करने के लिए निम्नलिखित में से किस औषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहरी)
(c) ऐन्टैसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
उत्तर: (c) ऐन्टैसिड
ऐन्टैसिड ऐसी दवाएं हैं जिनका उपयोग पेट के अतिरिक्त एसिड को निष्क्रिय करके अपच के इलाज के लिए किया जाता है।
5. निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए पहले शब्द-समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए-
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
शब्द-समीकरण:
तनु सल्फ्यूरिक अम्ल + दानेदार जिंक → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
संतुलित समीकरण:
Zn(s) + H2SO4(aq) → ZnSO4(aq) + H2(g)↑
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
शब्द-समीकरण:
तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + मैग्नीशियम पट्टी → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
संतुलित समीकरण:
Mg(s) + 2HCl(aq) → MgCl2(aq) + H2(g)↑
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल एल्युमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
शब्द-समीकरण:
तनु सल्फ्यूरिक अम्ल + एल्युमिनियम चूर्ण → एल्युमिनियम सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
संतुलित समीकरण:
2Al(s) + 3H2SO4(aq) → Al2(SO4)3(aq) + 3H2(g)↑
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है:
शब्द-समीकरण:
तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + लौह के रेतन → लौह क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
संतुलित समीकरण:
Fe(s) + 2HCl(aq) → FeCl2(aq) + H2(g)↑
6. एल्कोहल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं, लेकिन एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए। लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है।
एक टेस्ट ट्यूब में 2-3 मिलीलीटर एल्कोहल (एथेनॉल) या ग्लूकोज़ का विलयन लें।
- इसमें 2-3 बूंदें सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) विलयन मिलाएं।
- मिश्रण को गर्म करें।
- गर्म मिश्रण में धीरे-धीरे लाल लिटमस पेपर डुबोएं।
परिणाम: लाल लिटमस पेपर नीला हो जाएगा।
निष्कर्ष: यह क्रियाकलाप दर्शाता है कि एल्कोहल और ग्लूकोज़ में हाइड्रोजन होता है। जब एल्कोहल या ग्लूकोज़ को NaOH के साथ गर्म किया जाता है, तो हाइड्रोजन गैस निकलती है। यह हाइड्रोजन लिटमस पेपर को नीला कर देती है।
एल्कोहल और ग्लूकोज़ को अम्ल के रूप में वर्गीकृत नहीं करने का कारण:
एल्कोहल और ग्लूकोज़ में हाइड्रोजन होने के बावजूद, उन्हें अम्ल के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है क्योंकि वे पानी में घुलने पर H+ आयन नहीं बनाते हैं। H+ आयन अम्लीयता के लिए जिम्मेदार होते हैं। एल्कोहल और ग्लूकोज़ H+ आयन नहीं बनाते हैं, इसलिए वे अम्लीय गुण नहीं दिखाते हैं।
7. आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता, जबकि वर्षा जल होता है?
आसवित जल में विद्युत का चालन करने वाले आयन नहीं होते हैं। विद्युत के चालन के लिए, पानी में आयन, जैसे कि H+ और OH- आयन, मौजूद होने चाहिए। आसवित जल में ये आयन नहीं होते हैं, इसलिए यह विद्युत का चालन नहीं करता है।
वर्षा जल में विद्युत का चालन करने वाले आयन होते हैं। वर्षा जल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) घुल जाता है, जो पानी में H+ आयन बनाता है। ये H+ आयन वर्षा जल को विद्युत का चालक बनाते हैं।
8. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
अम्ल H+ आयन प्रदान करके अम्लीय गुण दिखाते हैं। H+ आयन पानी में घुलकर H3O+ (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। H3O+ आयन अम्लीय गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जल की अनुपस्थिति में, H+ आयन H3O+ आयन बनाने के लिए पानी के साथ प्रतिक्रिया नहीं कर सकते हैं। इसलिए, अम्ल जल की अनुपस्थिति में अम्लीय गुण नहीं दिखाते हैं।
9. पाँच विलयनों A, B, C, D, व E की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमशः 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन सा विलयन-
(a) उदासीन है?
(b) प्रबल क्षारीय है?
(c) प्रबल अम्लीय है?
(d) दुर्बल अम्लीय है?
(e) दुर्बल क्षारीय है?
PH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(a) उदासीन विलयन D है, जिसका pH मान 7 है।
(b) प्रबल क्षारीय विलयन C है, जिसका pH मान 11 है।
(c) प्रबल अम्लीय विलयन B है, जिसका pH मान 1 है।
(d) दुर्बल अम्लीय विलयन A है, जिसका pH मान 4 है।
(e) दुर्बल क्षारीय विलयन E है, जिसका pH मान 9 है।
हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में pH मानों का क्रम:
B (pH 1) > A (pH 4) > D (pH 7) > E (pH 9) > C (pH 11)
स्पष्टीकरण:
- pH मान 7 इंगित करता है कि विलयन उदासीन है, क्योंकि H+ और OH- आयन की सांद्रता समान होती है।
- pH मान 7 से कम होने पर विलयन अम्लीय होता है, क्योंकि H+ आयन की सांद्रता OH- आयन की सांद्रता से अधिक होती है।
- pH मान 7 से अधिक होने पर विलयन क्षारीय होता है, क्योंकि OH- आयन की सांद्रता H+ आयन की सांद्रता से अधिक होती है।
- pH मान और हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के बीच संबंध:
- pH मान जितना कम होगा, हाइड्रोजन आयन की सांद्रता उतनी ही अधिक होगी।
- pH मान जितना अधिक होगा, हाइड्रोजन आयन की सांद्रता उतनी ही कम होगी।
10. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा परखनली ‘B’ में ऐसिटिक अम्ल (CH3COOH) डालिए। दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान 3 हैं। किस परखनली में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
HCl एक प्रबल अम्ल है, इसका मतलब है कि यह पानी में घुलने पर H+ आयन को पूरी तरह से छोड़ देता है। CH3COOH एक दुर्बल अम्ल है, इसका मतलब है कि यह पानी में घुलने पर H+ आयन को आंशिक रूप से छोड़ता है। HCl, CH3COOH की तुलना में H+ आयन अधिक तेज़ी से छोड़ता है, इसलिए परखनली A में H2 गैस अधिक तेज़ी से बनती है। H2 गैस के कारण परखनली A में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होती है।
11. ताज़े दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।
ताज़े दूध का pH मान 6 होता है, जो थोड़ा अम्लीय होता है। दही बनने पर pH मान में वृद्धि होती है और यह 4.6 के करीब हो जाता है।
कारण:
- दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (LAB) दूध में मौजूद लैक्टोज को लैक्टिक एसिड में बदल देते हैं।
- लैक्टिक एसिड एक अम्ल है, इसलिए यह दूध के pH मान को कम करता है।
- दही बनने के दौरान pH मान 4.6 के करीब हो जाता है, जो थोड़ा अम्लीय होता है।
दही के अम्लीय होने के फायदे:
- दही का अम्लीय स्वाद इसे स्वादिष्ट बनाता है।
- दही का अम्लीय pH मान हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को रोकता है।
- दही का अम्लीय pH मान पाचन में भी सहायक होता है।
12. एक ग्वाला ताज़े दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताज़ा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है?
ताज़ा दूध के pH मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय बनाने का कारण:
बेकिंग सोडा (NaHCO3) एक क्षारीय लवण है।
- जब बेकिंग सोडा को दूध में मिलाया जाता है, तो यह पानी में घुलकर Na+ और HCO3- आयन बनाता है।
- HCO3- आयन पानी के साथ प्रतिक्रिया करके H2CO3 (कार्बोनिक एसिड) बनाता है।
- H2CO3 एक दुर्बल अम्ल है, इसलिए यह H+ आयन को आंशिक रूप से छोड़ता है।
- H+ आयन की सांद्रता में कमी के कारण दूध का pH मान 6 से बढ़कर थोड़ा क्षारीय हो जाता है।
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (LAB) दूध में मौजूद लैक्टोज को लैक्टिक एसिड में बदल देते हैं।
- लैक्टिक एसिड एक अम्ल है, इसलिए यह दूध के pH मान को कम करता है।
- बेकिंग सोडा मिलाने से दूध का pH मान थोड़ा क्षारीय हो जाता है, जिसके कारण LAB को अम्लीय वातावरण बनाने में अधिक समय लगता है।
- अम्लीय वातावरण LAB के विकास और दही बनने के लिए आवश्यक होता है।
- इसलिए, बेकिंग सोडा मिलाने से दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है।
13. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए। इसकी व्याख्या कीजिए।
प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) जिप्सम (CaSO4.2H2O) का एक अर्ध-जलयुक्त रूप है। जब POP पानी में मिलाया जाता है, तो यह जलयोजन की प्रक्रिया से गुजरता है और जिप्सम क्रिस्टल बनाता है। इस प्रक्रिया में, POP कठोर हो जाता है और एक ठोस ढांचा बनाता है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में रखने के कारण:
- POP हवा में मौजूद नमी को अवशोषित कर लेता है, जिसके कारण यह जलयोजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और POP कठोर हो जाता है।
- यदि POP को आर्द्र-रोधी बर्तन में नहीं रखा जाता है, तो यह हवा में मौजूद नमी को अवशोषित कर लेगा और जल्दी से कठोर हो जाएगा।
- इससे POP का उपयोग करने का समय कम हो जाएगा और यह बेकार हो जाएगा।
- आर्द्र-रोधी बर्तन हवा में मौजूद नमी को POP तक पहुंचने से रोकता है, जिसके कारण POP लंबे समय तक उपयोग के लिए उपलब्ध रहता है।
14. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उदासीनीकरण अभिक्रिया एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें एक अम्ल और एक क्षारक एक दूसरे के साथ प्रतिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
उदाहरण:
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) और सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की प्रतिक्रिया:
HCl + NaOH → NaCl + H2O
एसिटिक अम्ल (CH3COOH) और सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की प्रतिक्रिया:
CH3COOH + NaOH → CH3COONa + H2O
15. धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।
धोने का सोडा (Na2CO3):
- कपड़े धोने के लिए: धोने का सोडा कपड़ों से गंदगी और तेल को हटाने में मदद करता है।
- पानी को नरम बनाने के लिए: धोने का सोडा पानी में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम के आयन को हटाकर पानी को नरम बनाता है।
- धोने का सोडा का उपयोग कांच और धातु की सफाई के लिए भी किया जाता है।
बेकिंग सोडा (NaHCO3):
- बेकिंग के लिए: बेकिंग सोडा केक, बिस्कुट और अन्य बेकिंग उत्पादों को फुलाने में मदद करता है।
- एसिडिटी को दूर करने के लिए: बेकिंग सोडा एसिडिटी को दूर करने में मदद करता है।
- अन्य उपयोग: बेकिंग सोडा का उपयोग दांतों को साफ करने और गले में खराश को दूर करने के लिए भी किया जाता है।