Complete Question Answer In Detail 👉
1. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है:
बहुकोशिकीय जीवों में अनेक कोशिकाएँ होती हैं और उनका आकार भी बहुत बड़ा होता है। ऐसे जीवों के भीतर ऑक्सीजन को केवल विसरण (Diffusion) के माध्यम से कोशिकाओं तक पहुँचाना संभव नहीं होता क्योंकि:
- विसरण की गति बहुत धीमी होती है।
- बड़ी दूरी तक ऑक्सीजन को पहुँचाने में समय लग जाता है।
- बहुकोशिकीय जीवों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं, जिनकी ऑक्सीजन की आवश्यकता अलग-अलग होती है।
ऑक्सीजन का सही मात्रा में और समय पर वितरण न हो पाने के कारण कोशिकाएँ मर सकती हैं।
- इसलिए, बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए विशेष तंत्र जैसे श्वसन तंत्र और परिसंचरण तंत्र विकसित हुए हैं।
2. कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे:
किसी वस्तु के सजीव होने का निर्धारण निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर किया जा सकता है:
- विकास और वृद्धि: सजीव वस्तुएँ विकसित होती हैं और आकार में वृद्धि करती हैं।
- प्रजनन: सजीव वस्तुएँ अपनी जैसी नई सजीव वस्तुओं का निर्माण करती हैं।
- चयापचय (Metabolism): सजीव वस्तुएँ भोजन ग्रहण करती हैं, उसे ऊर्जा में बदलती हैं, और अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन करती हैं।
- अनुक्रिया (Response): सजीव वस्तुएँ अपने वातावरण के प्रति प्रतिक्रिया देती हैं।
- कोशिका: सभी सजीव वस्तुएँ कोशिकाओं से बनी होती हैं।
- आनुवांशिकी: सजीव वस्तुओं में आनुवांशिक पदार्थ (DNA या RNA) होता है।
- आवश्यकताओं का पालन: सभी सजीव वस्तुएँ अपने जीवन के लिए जल, भोजन, और पर्यावरण की आवश्यकता पूरी करती हैं।
3. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है:
जीव विभिन्न कच्ची सामग्रियों का उपयोग करते हैं, जैसे:
- जल: सभी जीवों के लिए जल अनिवार्य है।
- कार्बोहाइड्रेट्स: ऊर्जा के लिए आवश्यक।
- प्रोटीन: शरीर की संरचना और कार्य के लिए।
- लिपिड्स (वसा): ऊर्जा भंडारण और कोशिका झिल्ली निर्माण के लिए।
- विटामिन्स और मिनरल्स: विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं के लिए सहायक।
4. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे:
जीवन के अनुरक्षण के लिए निम्नलिखित प्रक्रम आवश्यक हैं:
- श्वसन (Respiration): ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
- पोषण (Nutrition): पोषण पदार्थों का ग्रहण और उनका पाचन।
- परिसंचरण (Circulation): पोषक तत्वों और ऑक्सीजन का वितरण।
- उत्सर्जन (Excretion): अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन।
- प्रजनन (Reproduction): नई संतान उत्पन्न करने के लिए।
- विकास (Growth): जीवन चक्र को पूरा करने के लिए।
- अनुकूलन (Adaptation): बदलते पर्यावरण के अनुसार स्वयं को ढालने के लिए।
1. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?
स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition):
- स्वयंपोषी जीव अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं।
- ये जीव सरल अकार्बनिक पदार्थों (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और पानी) से जटिल कार्बनिक पदार्थ (ग्लूकोज) बनाते हैं।
- मुख्यतः हरे पौधे और कुछ बैक्टीरिया स्वयंपोषी पोषण का पालन करते हैं।
- इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं, जिसमें सूर्य की रोशनी का उपयोग होता है।
विषमपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition):
- विषमपोषी जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते; वे अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं।
- ये जीव पहले से बने कार्बनिक पदार्थों का सेवन करते हैं।
- सभी जानवर, मानव, कवक और कुछ बैक्टीरिया विषमपोषी पोषण का पालन करते हैं।
- इन जीवों में भोजन को पचाने के लिए पाचन तंत्र होता है।
2. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री निम्नलिखित स्रोतों से प्राप्त होती हैं:
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): पौधा इसे वायुमंडल से अपने पत्तों के रंध्र (stomata) के माध्यम से ग्रहण करता है।
- पानी (H₂O): पौधा इसे मिट्टी से अपनी जड़ों के माध्यम से अवशोषित करता है।
- सूर्य का प्रकाश: यह ऊर्जा का स्रोत है और पौधा इसे अपने पत्तों में स्थित क्लोरोफिल (chlorophyll) पिगमेंट के माध्यम से अवशोषित करता है।
3. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
आमाशय में अम्ल, विशेष रूप से हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl), की भूमिका निम्नलिखित है:
- पाचन में सहायता: यह पेप्सिनोजेन को सक्रिय पेप्सिन एंजाइम में बदलता है, जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है।
- रोगाणुओं का नाश: यह खाने के साथ आए बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों को मारता है।
- अवशोषण में मदद: यह लोहा और कैल्शियम जैसे खनिजों के अवशोषण में मदद करता है।
- पाचन तंत्र की सफाई: यह पाचन तंत्र को साफ रखता है और हानिकारक जीवाणुओं को बढ़ने नहीं देता।
4. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?
पाचक एंजाइमों का मुख्य कार्य भोजन को छोटे-छोटे घटकों में तोड़ना है ताकि शरीर इन्हें आसानी से अवशोषित कर सके:
- प्रोटीज (Protease): प्रोटीन को अमीनो एसिड में तोड़ता है।
- एमाइलेज (Amylase): कार्बोहाइड्रेट को शर्करा (ग्लूकोज) में तोड़ता है।
- लिपेज (Lipase): वसा को फैटी एसिड और ग्लिसरॉल में तोड़ता है।
- सेल्युलेज (Cellulase): सेल्यूलोज को तोड़ता है (मानव में नहीं पाया जाता)।
5. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है:
क्षुद्रांत्र (Small Intestine) को पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए निम्नलिखित तरीकों से अभिकल्पित किया गया है:
- विल्ली (Villi): यह उंगली के आकार की छोटी-छोटी संरचनाएँ हैं जो आंत्र की आंतरिक सतह को ढकती हैं। वे अवशोषण की सतह क्षेत्र को बढ़ाती हैं।
- सूक्ष्मविल्ली (Microvilli): विल्ली की सतह पर और भी छोटे विस्तार होते हैं, जो सतह क्षेत्र को और बढ़ाते हैं।
- लंबाई: क्षुद्रांत्र की लंबाई (लगभग 6 मीटर) अधिक समय तक भोजन को अवशोषित करने की सुविधा देती है।
- रक्त वाहिकाएँ: क्षुद्रांत्र की दीवार में सूक्ष्म रक्त वाहिकाएँ (केशिकाएँ) होती हैं जो पोषक तत्वों को तेजी से रक्त में अवशोषित करती हैं।
- पानी और एंजाइम का स्राव: इसमें स्रावित म्यूकस और एंजाइम भोजन के अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ते हैं, जिससे उनका अवशोषण सरल हो जाता है।
1. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
स्थलीय जीवों को ऑक्सीजन प्राप्त करने में निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- अधिक ऑक्सीजन: हवा में ऑक्सीजन की मात्रा (लगभग 21%) पानी की तुलना में ज्यादा होती है।
- कम ऊर्जा खर्च: स्थलीय जीवों को ऑक्सीजन लेने के लिए कम ऊर्जा लगानी पड़ती है, जबकि जलीय जीवों को पानी में से ऑक्सीजन छानने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
- बेहतर श्वसन अंग: स्थलीय जीवों के फेफड़े ऑक्सीजन के आदान-प्रदान के लिए बेहतर होते हैं, जबकि जलीय जीवों में गिल्स होती हैं जो पानी में ऑक्सीजन की कम मात्रा के साथ काम करती हैं।
- तेजी से श्वसन: स्थलीय जीव जल्दी और अधिक कुशलता से श्वसन कर सकते हैं।
2. ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या है
ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण के अलावा, जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के अन्य तरीके भी होते हैं:
- किण्वन (Fermentation):
- लैक्टिक एसिड किण्वन: कुछ बैक्टीरिया और मांसपेशियों की कोशिकाएँ ग्लूकोज को लैक्टिक एसिड में बदलते हैं।
- एथेनॉल किण्वन: यीस्ट और कुछ बैक्टीरिया ग्लूकोज को एथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदलते हैं।
- लिपिड ऑक्सीकरण:
- वसा अम्लों को ऑक्सीकरण कर के ATP में बदला जाता है। इसे बीटा ऑक्सीकरण कहते हैं।
- प्रोटीन ऑक्सीकरण:
- अमीनो एसिड को ऊर्जा के लिए उपयोग किया जाता है।
3. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
मनुष्यों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन इस प्रकार होता है:
- ऑक्सीजन का परिवहन:
- ऑक्सीजन फेफड़ों में वायुकोष्ठ (Alveoli) में प्रवेश करती है और वहाँ से हीमोग्लोबिन से बंध जाती है।
- हीमोग्लोबिन-ऑक्सीजन कॉम्प्लेक्स (Oxyhemoglobin) के रूप में यह ऑक्सीजन पूरे शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचाई जाती है।
- कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन:
- कोशिकाओं में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड रक्त में प्रवेश करता है और ज्यादातर बाइकार्बोनेट आयन (HCO₃⁻) के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
- यह रक्त के माध्यम से फेफड़ों में पहुँचता है, जहाँ यह पुनः CO₂ में परिवर्तित होकर श्वास द्वारा बाहर निकल जाता है।
4. गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
मानव फुफ्फुस (lungs) को गैसों के विनिमय के लिए अधिकतम क्षेत्रफल प्रदान करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए गए हैं:
- वायुकोष्ठ (Alveoli):
- फेफड़ों में लाखों वायुकोष्ठ होते हैं जो सतह क्षेत्र को बहुत बढ़ा देते हैं।
- हर वायुकोष्ठ पतली दीवारों वाला होता है और इसके चारों ओर केशिकाओं (capillaries) का जाल होता है।
- पतली दीवारें:
- वायुकोष्ठ और केशिकाओं की दीवारें बहुत पतली होती हैं, जिससे गैसों का आदान-प्रदान जल्दी और आसानी से होता है।
- केशिका जाल:
- प्रत्येक वायुकोष्ठ को घेरने वाले केशिकाओं का जाल अधिक क्षेत्रफल को प्रदान करता है।
- लचीली संरचना:
- फेफड़े लचीले होते हैं और साँस लेने पर फैल सकते हैं, जिससे हवा अधिक मात्रा में अंदर आ सके।
- सर्फेक्टेंट का स्राव:
- वायुकोष्ठ में एक प्रकार का द्रव (सर्फेक्टेंट) स्रावित होता है जो सतही तनाव को कम करता है और वायुकोष्ठ को खुला रखने में मदद करता है।
इन सभी विशेषताओं के कारण, मानव फुफ्फुस में गैसों का विनिमय अधिकतम सतह क्षेत्र पर होता है, जिससे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का कुशल परिवहन सुनिश्चित होता है।
1. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
मानव में वहन तंत्र (Circulatory System) के मुख्य घटक और उनके कार्य निम्नलिखित हैं:
- हृदय (Heart):
- रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है।
- दो भागों में बंटा है: बायां और दायां। बायां भाग ऑक्सीजनित रक्त को पंप करता है और दायां भाग विऑक्सीजनित रक्त को पंप करता है।
- रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels):
- धमनियाँ (Arteries): ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं।
- शिराएँ (Veins): विऑक्सीजनित रक्त को शरीर के विभिन्न अंगों से हृदय तक वापस लाती हैं।
- केशिकाएँ (Capillaries): धमनियों और शिराओं को जोड़ती हैं और कोशिकाओं के पास गैसों, पोषक तत्वों और अपशिष्ट पदार्थों का आदान-प्रदान करती हैं।
- रक्त (Blood):
- लाल रक्त कणिकाएँ (Red Blood Cells): हीमोग्लोबिन के माध्यम से ऑक्सीजन का परिवहन करती हैं।
- श्वेत रक्त कणिकाएँ (White Blood Cells): शरीर को संक्रमण और बीमारियों से बचाती हैं।
- प्लाज्मा (Plasma): तरल हिस्सा जिसमें पोषक तत्व, हार्मोन और अपशिष्ट पदार्थ घुले होते हैं।
- रक्त पटिकाएँ (Platelets): रक्त का थक्का बनाने में मदद करती हैं।
2. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
स्तनधारी और पक्षियों में ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रक्त को अलग रखना आवश्यक है क्योंकि:
- कुशल ऑक्सीजन परिवहन: इससे रक्त में ऑक्सीजन का उच्च स्तर बना रहता है, जिससे कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।
- अधिक ऊर्जा उत्पादन: अलग-अलग रक्त का होना उच्च मेटाबॉलिज्म और ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक है। इससे अधिक ATP का निर्माण होता है जो शरीर की उच्च ऊर्जा मांग को पूरा करता है।
- उच्च तापमान नियंत्रण: यह प्रक्रिया शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे स्तनधारी और पक्षी अपने पर्यावरण के अनुकूल हो सकते हैं।
3. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उच्च संगठित पादप (Higher Plants) में वहन तंत्र के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं:
- जाइलम (Xylem): जल और खनिज लवण का जड़ों से पत्तियों तक परिवहन करता है।
- फ्लोएम (Phloem): पत्तियों में बने भोजन (ग्लूकोज) को पौधे के अन्य भागों तक पहुँचाता है।
4. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
पादप में जल और खनिज लवण का वहन निम्नलिखित तरीके से होता है:
- जड़ों से अवशोषण: जड़ें मिट्टी से जल और खनिज लवण अवशोषित करती हैं।
- जाइलम के माध्यम से: जाइलम वाहिकाएँ जल और खनिज लवण को जड़ों से लेकर पत्तियों तक पहुँचाती हैं।
- संवहन (Transpiration): पत्तियों से जल का वाष्पीकरण जड़ से पत्तियों तक जल के प्रवाह को प्रेरित करता है।
5. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
पादप में भोजन का स्थानांतरण निम्नलिखित तरीके से होता है:
- फोटोसिंथेसिस: पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ग्लूकोज बनता है।
- फ्लोएम के माध्यम से: ग्लूकोज को सुक्रोज में परिवर्तित करके फ्लोएम वाहिकाओं के माध्यम से पौधे के अन्य भागों (जड़, तना, फल आदि) में पहुँचाया जाता है।
- स्रोत से सिंक तक परिवहन: यह प्रक्रिया स्रोत (पत्तियाँ) से सिंक (भंडारण अंग या विकासशील अंग) तक होती है।
1. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
वृक्काणु (नेफ्रॉन):
- रचना:
- ग्लोमेरुलस (Glomerulus): छोटी रक्त वाहिकाओं का जाल।
- बोमन कैप्सूल (Bowman’s Capsule): ग्लोमेरुलस को घेरती है।
- पुन: अवशोषण नलिका (Tubule): जिसमें नलिकाएं होती हैं: प्रोक्सिमल, लूप ऑफ हेन्ले, डिस्टल नलिका और संग्रहण नलिका।
- क्रियाविधि:
- निस्यंदन (Filtration): ग्लोमेरुलस में रक्त का निस्यंदन होता है और प्राथमिक मूत्र बनता है।
- पुनः अवशोषण (Reabsorption): नलिकाओं में जल, ग्लूकोज और महत्वपूर्ण आयन पुनः अवशोषित होते हैं।
- उत्सर्जन (Secretion): अवांछित पदार्थ नलिकाओं में जोड़े जाते हैं।
- संग्रहण (Collection): अंतिम मूत्र संग्रहण नलिका से होकर मूत्राशय में जाता है।
2. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
पादप निम्नलिखित विधियों का उपयोग करते हैं:
- गूदा (Resin) और गोंद (Gum): उत्सर्जी उत्पादों को अलग कर जमा करते हैं।
- प्राकृतिक अंगों का शेडिंग: पत्तियाँ, फूल और फल गिरा कर।
- छिद्र (Stomata): कुछ गैसों का निष्कासन।
3. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन निम्नलिखित तरीके से होता है:
- एंटी-डाययुरेटिक हार्मोन (ADH): जल पुनः अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे मूत्र की मात्रा कम होती है।
- एल्डोस्टेरोन (Aldosterone): सोडियम और जल के पुनः अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे मूत्र की मात्रा कम होती है।
- रक्तचाप और रक्त की मात्रा: बढ़े हुए रक्तचाप और रक्त की मात्रा के कारण मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।
इन उत्तरों को आसान बनाने का प्रयास किया गया है ताकि आप आसानी से समझ सकें।
Exercise Question 👉
1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है, जो संबंधित है-
(a) पोषण
(b) श्वसन
(c) उत्सर्जन
(d) परिवहन
Ans: उत्सर्जन
2. पादप में जाइलम उत्तरदायी है-
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
Ans: (a) जल का वहन
3. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(c) सूर्य का प्रकाश
(b) क्लोरोफिल
(d) उपरोक्त सभी
Ans: (d) उपरोक्त सभी
4. पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है-
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकॉन्ड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केंद्रक
Ans: (b) माइटोकॉन्ड्रिया
5. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
वसा का पाचन:
- बाइल (पित्त): पित्त लिवर से स्रावित होकर पित्ताशय (Gallbladder) में संग्रहित होता है। पित्त वसा को छोटे-छोटे बूंदों में विभाजित करता है, जिसे इमल्सीफिकेशन (Emulsification) कहते हैं।
- लिपेज (Lipase): पित्त द्वारा विभाजित वसा को लिपेज एंजाइम पाचन करता है। लिपेज एंजाइम अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा स्रावित होकर छोटी आंत (Duodenum) में वसा का पाचन करता है।
6. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
लार की भूमिका:
- लार का स्राव: लार ग्रंथियों से होती है।
- एमाइलेज (Amylase): लार में उपस्थित एंजाइम एमाइलेज स्टार्च को शर्करा (Maltose) में बदलता है।
- मॉइस्चराइजिंग: भोजन को गीला और नरम बनाता है, जिससे उसे निगलना आसान हो जाता है।
7. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ:
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
- जल (H₂O)
- सूर्य का प्रकाश
- क्लोरोफिल
उपोत्पाद:
- ग्लूकोज (Glucose)
- ऑक्सीजन (O₂)
8. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
अंतर:
- वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration): ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है और ग्लूकोज का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है, जिससे अधिक ऊर्जा मिलती है (38 ATP)। उदाहरण: मनुष्य, पशु, पौधे।
- अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration): ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है और ग्लूकोज का आंशिक ऑक्सीकरण होता है, जिससे कम ऊर्जा मिलती है (2 ATP)। उदाहरण: यीस्ट, लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया, मांसपेशियों की कोशिकाएँ।
9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
कूपिकाएँ (Alveoli):
- पतली दीवारें: एकल कोशिका मोटाई की दीवारें।
- बड़ा सतह क्षेत्र: लाखों की संख्या में कूपिकाएँ जिससे बड़ा सतह क्षेत्र बनता है।
- केशिका जाल: हर कूपिका को घेरे हुए केशिकाओं का जाल, जिससे गैसों का आदान-प्रदान तेज और कुशलता से होता है।
- सर्फेक्टेंट: कूपिकाओं को खुला रखने के लिए सर्फेक्टेंट का स्राव।
10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
हीमोग्लोबिन की कमी के परिणाम:
- एनीमिया (Anemia): थकान, कमजोरी और चक्कर आना।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: संक्रमण और बीमारियों का बढ़ा जोखिम।
- सांस लेने में कठिनाई: श्वासहीनता।
- हल्की त्वचा: त्वचा का पीला या सफेद होना।
11. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
दोहरा परिसंचरण (Double Circulation):
- प्रकार: दो प्रकार का परिसंचरण होता है: पल्मोनरी (फेफड़े) और सिस्टेमिक (शरीर)।
- पल्मोनरी परिसंचरण: हृदय से फेफड़ों तक विऑक्सीजनित रक्त ले जाता है और फेफड़ों से ऑक्सीजनित रक्त को वापस हृदय में लाता है।
- सिस्टेमिक परिसंचरण: हृदय से ऑक्सीजनित रक्त को पूरे शरीर में ले जाता है और वापसी में विऑक्सीजनित रक्त को हृदय में लाता है।
आवश्यकता:
- प्रभावी ऑक्सीजन आपूर्ति: शरीर के प्रत्येक अंग को ऑक्सीजन की उच्च मात्रा मिलती है।
- ऊर्जा की अधिक आवश्यकता: अधिक ऊर्जा की आवश्यकता वाले अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।
- संपूर्ण अपशिष्ट निष्कासन: अपशिष्ट उत्पादों को प्रभावी रूप से बाहर निकालने में मदद करता है।
12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
जाइलम (Xylem):
- वहन: जल और खनिज लवण।
- दिशा: एक ही दिशा में (जड़ से पत्तियों तक)।
- जीवित या मृत: मुख्यतः मृत कोशिकाओं से बना।
फ्लोएम (Phloem):
- वहन: भोजन (मुख्यतः ग्लूकोज)।
- दिशा: द्विदिशीय (पत्तियों से पौधे के अन्य भागों तक और अन्य भागों से वापस)।
- जीवित या मृत: मुख्यतः जीवित कोशिकाओं से बना।
13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
फुफ्फुस में कूपिकाएँ (Alveoli):
- रचना: छोटे गुब्बारे जैसे संरचना, पतली दीवारें, प्रत्येक कूपिका को घेरने वाले केशिका जाल।
- क्रियाविधि: ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान। ऑक्सीजन को रक्त में और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में मदद करती हैं।
वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन):
- रचना: ग्लोमेरुलस, बोमन कैप्सूल, नलिकाएँ (प्रोक्सिमल, लूप ऑफ हेन्ले, डिस्टल नलिका, संग्रहण नलिका)।
- क्रियाविधि: रक्त का निस्यंदन, पुनः अवशोषण और उत्सर्जन। अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में निकालता है और उपयोगी पदार्थों को पुनः अवशोषित करता है।
समानता:
- दोनों की संरचनाएँ बड़ी सतह क्षेत्र के साथ बनाई गई हैं।
- दोनों में पदार्थों का आदान-प्रदान होता है: कूपिकाओं में गैसों का और नेफ्रॉन में तरल पदार्थों का।